Monday, December 31, 2012

श्लोक १५४

II श्रीराम समर्थ II

महावाक्य तत्त्वादिके पंचकर्णे।
खुणे पाविजे संतसंगे विवर्णे॥
द्वितीयेसि संकेत जो दाविजेतो।
तया सांडुनी चंद्रमा भाविजेतो॥१५४॥


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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, December 21, 2012

श्लोक १५३

II श्रीराम समर्थ II


नव्हे पिंडज्ञाने नव्हे तत्त्वज्ञाने ।
समाधान कांही नव्हे तानमाने॥
नव्हे योगयागें नव्हे भोगत्यागें।
समाधान ते सज्जनाचेनि योगे॥१५३॥
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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, December 14, 2012

श्लोक १५२

II श्रीराम समर्थ II


बहुता परी कुसरी तत्वझाडा 
परी पाहिजे अंतरी तो निवडा
मना सार आचार ते वेगळे रे।
समस्तां मधे येक ते आगळे रे ।।१५२।।

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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, December 7, 2012

श्लोक १५१

II श्रीराम समर्थ II

 खरें शोधितां शोधितां शोधिताहे।
मना बोधिता बोधिता बोधिताहे॥
परी सर्वही सज्जनाचेनि योगे।
बरा निश्चयो पाविजे सानुरागे॥१५१॥
 
डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण

जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, November 30, 2012

श्लोक १५०

II श्रीराम समर्थ II

नसे पीत ना श्वेत ना श्याम कांही।
नसे व्यक्त अव्यक्त ना नीळ नाहीं॥
म्हणे दास विश्वासतां मुक्ति लाहे।
मना संत आनंत शोधुनि पाहे॥१५०॥
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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, November 23, 2012

श्लोक १४९

II श्रीराम समर्थ II

जगी पाहतां चर्मलक्षी न लक्षे।
जगी पाहता ज्ञानचक्षी निरक्षे॥
जनीं पाहता पाहणे जात आहे।
मना संत आनंत शोधुनि पाहे॥१४९॥
 
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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, November 16, 2012

श्लोक १४८

II श्रीराम समर्थ II

निराकार आधार ब्रह्मादिकांचा।
जया सांगतां शीणली वेदवाचा॥
विवेके तदाकार होऊनि राहें।
मना संत आनंत शोधुनि पाहे॥१४८॥
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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, November 9, 2012

श्लोक १४७

II श्रीराम समर्थ II


फुटेना तुटेना चळेना ढलेना।
सदा संचले मीपणे ते कळेना ॥
तया एकरुपासि दूजे न साहे।
मना संत आनंत शोधूनि पाहे ॥१४७॥
 
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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, November 2, 2012

श्लोक १४६

II श्रीराम समर्थ II

दिसे लोचनी ते नसे कल्पकोडी।
अकस्मात आकरले काल मोडी ॥
पुढे सर्व जाईल काही न राहे ।
मना संत आनंत शोधूनि पाहे ॥१४६ ॥

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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, October 26, 2012

श्लोक १४५

II श्रीराम समर्थ II

sada ivaYayaao icaMitta jaIva jaalaa ¦
AhMBaava A&ana janmaasaI Aalaa ¦
ivavaoko sada sasva$pI Baravao ¦

ijavaa ]gamaI janma naahI svaBaavao ¦¦१४५¦¦

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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, October 19, 2012

श्लोक १४४

II श्रीराम समर्थ II

jagaIM pahta saaca to kaya Aaho ¦
AtI Aadro sa%ya XaaoQaUina paho ¦
PauZo pahtaM pahtaM dova jaaoDo ¦

Ba`ma Ba`aMitM A&ana ho sava- maaoDo ¦¦१४४¦¦


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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, October 12, 2012

श्लोक १४३

II श्रीराम समर्थ II


अविद्यागुणे मानवा ऊमजेना
भ्रमे चुकले हित ते आकळेना।।
परीक्षेविणे बांधिले  दृ ढ नाणे परी।
 सत्य मिथ्या असे कोण जाणे ।।१४३ ।।


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जय जय रघुवीर समर्थ !

Saturday, October 6, 2012

श्लोक १४२

II श्रीराम समर्थ II

kLonaa kLonaa kLonaa Zlonaa ¦
ZLo naaZLo saMXayaaohI Zlonaa ¦
gaLonaa gaLonaa AhMta gaLonaa ¦
baLo AakLonaa imaLonaa imaLonaa ¦¦१४२¦¦

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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, September 28, 2012

श्लोक १४१

II  श्रीराम समर्थ II

म्हणे दास सायास त्याचे करावे ।
जनी जाणता पाय त्याचे धरावे ।।
गुरु अंजनेवीण  तें आकळेना ।
जुने ठेवणे मी पणे आकळेना ।। १४१ ।।

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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, September 21, 2012

श्लोक १४०

II श्रीराम समर्थ II


जयाचे तया चूकले प्राप्त नाहीं।
गुणे गोविले जाहले दुःख देहीं ॥
गुणावेगळी वृत्ति तेहि वळेना।
जुने ठेवणे मीपणे आकळेना॥१४०॥
 

डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण



 जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, September 14, 2012

श्लोक १३९

II श्रीराम समर्थ II


पुढें पाहता सर्वही कोंदलेसें।
अभाग्यास हें दृश्य पाषाण भासे॥
अभावे कदा पुण्य गांठी पडेना।

जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, September 7, 2012

श्लोक १३८

II श्रीराम समर्थ II

भ्रमे नाढळे वित्त तें गुप्त जाले।
जिवा जन्मदारिद्र्य ठाकुनि आले॥
देहेबुद्धिचा निश्चयो ज्या टळेना।
जुने ठेवणे मीपणे आकळेना॥१३८॥


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 जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, August 31, 2012

श्लोक १३७


II श्रीराम समर्थ II

जिवां श्रेष्ठ ते स्पष्ट सांगोनि गेले।
परी जीव अज्ञान तैसेचि ठेले॥
देहेबुद्धिचें कर्म खोटें टळेना।
जुने ठेवणें मीपणें आकळेना॥१३७॥

 
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जय जय रघुवीर समर्थ !

Sunday, August 26, 2012

श्लोक १३६

II श्रीराम समर्थ II

भयें व्यापिले सर्व ब्रह्मांड आहे।
भयातीत तें संत आनंत पाहे॥
जया पाहतां द्वैत कांही दिसेना।
भयो मानसीं सर्वथाही असेना॥१३६॥


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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, August 17, 2012

श्लोक १३५

II श्रीराम समर्थ II

धरीं रे मना संगती सज्जनाची।
जेणें वृत्ति हे पालटे दुर्जनाची॥
बळे भाव सद्बुद्धि सन्मार्ग लागे।
महाक्रुर तो काळ विक्राळ भंगे॥१३५॥
डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण


जय जय रघुवीर समर्थ !
 

Friday, August 10, 2012

श्लोक १३४

II श्रीराम समर्थ II

नसे गर्व आंगी सदा वीतरागी।
क्षमा शांति भोगी दयादक्ष योगी॥
नसे लोभ ना क्षोम ना दैन्यवाणा।
इहीं लक्षणी जाणिजे योगिराणा॥१३४॥

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जय जय रघुवीर समर्थ !
 

Friday, August 3, 2012

श्लोक १३३

II श्रीराम समर्थ II

हरीभक्त वीरक्त विज्ञानराशी।
जेणे मानसी स्थापिलें निश्चयासी॥
तया दर्शने स्पर्शने पुण्य जोडे।
तया भाषणें नष्ट संदेह मोडे॥१३३॥

जय जय रघुवीर समर्थ !
 

Friday, July 27, 2012

श्लोक १३२

II श्रीराम समर्थ II

विचारूनि बोले विवंचूनि चाले।
तयाचेनि संतप्त तेही निवाले॥
बरें शोधल्यावीण बोलो नको हो।
जनी चालणे शुद्ध नेमस्त राहो॥१३२॥



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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, July 20, 2012

श्लोक १३१

II श्रीराम समर्थ II
 

भजाया जनीं पाहतां राम एकू।
करी बाण एकू मुखी शब्द एकू॥
क्रिया पाहतां उद्धरे सर्व लोकू।
धरा जानकीनायकाचा विवेकू॥१३१॥

डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण


 जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, July 13, 2012

श्लोक १३०

II श्रीराम समर्थ II

 
मना अल्प संकल्प तोही नसावा।
सदा सत्यसंकल्प चित्तीं वसावा॥
जनीं जल्प वीकल्प तोही त्यजावा।
रमाकांत एकान्तकाळी भजावा॥१३०॥



डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण




जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, July 6, 2012

श्लोक १२९


II श्रीराम समर्थ II

 
गतीकारणे संगती सज्जनाची।
मती पालटे सूमती दुर्जनाची॥
रतीनायिकेचा पती नष्ट आहे।
म्हणोनी मनाऽतीत होवोनि राहे॥१२९॥

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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, June 29, 2012

श्लोक १२८

II श्रीराम समर्थ II
 



मना वासना वासुदेवीं वसों दे।
मना कामना कामसंगी नसो दे॥
मना कल्पना वाउगी ते न कीजे।
मना सज्जना सज्जनी वस्ति कीजे॥१२८॥


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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, June 22, 2012

श्लोक १२७

II श्रीराम समर्थ II

जगीं धन्य तो रामसूखें निवाला।
कथा ऐकतां सर्व तल्लीन जाला॥
देहेभावना रामबोधे उडाली।
मनोवासना रामरूपीं बुडाली॥१२७॥

डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण




जय जय रघुवीर समर्थ !
 

Saturday, June 16, 2012

श्लोक १२६

II श्रीराम समर्थ II

 

जनांकारणे देव लीलावतारी।
बहुतांपरी आदरें वेषधारी॥
तया नेणती ते जन पापरूपी।
दुरात्मे महानष्ट चांडाळ पापी॥१२६॥



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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, June 1, 2012

श्लोक १२५

II श्रीराम समर्थ II


अनाथां दिनांकारणे जन्मताहे।
कलंकी पुढे देव होणार आहे॥
तया वर्णिता शीणली वेदवाणी।
नुपेक्षी कदा देव भक्ताभिमानी॥१२५॥

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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, May 25, 2012

श्लोक १२४

II श्रीराम समर्थ II


 
तये द्रौपदीकारणे लागवेगे।
त्वरे धांवतो सर्व सांडूनि मागें॥
कळीलागिं जाला असे बौद्ध मौनी।
नुपेक्षी कदा देव भक्ताभिमानी॥१२४॥

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 जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, May 18, 2012

श्लोक १२4

II श्रीराम समर्थ II


अहल्येसतीलागी आरण्यपंथे।
कुडावा पुढे देव बंदी तयांते॥
बळे सोडितां घाव घालीं निशाणी।
नुपेक्षी कदा राम दासाभिमानी॥१२३॥



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जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, May 11, 2012

श्लोक १२२

II श्रीराम समर्थ II


श्लोक १२२
कृपा भाकिता जाहला वज्रपाणी।
तया कारणें वामनू चक्रपाणी॥
द्विजांकारणे भार्गवू चापपाणी।
नुपेक्षी कदा देव भक्ताभिमानी॥१२२॥


 
जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, May 4, 2012

श्लोक १२१

II श्रीराम समर्थ II


महाभक्त प्रल्हाद हा कष्टवीला।
म्हणोनी तयाकारणे सिंह जाला॥
न ये ज्वाळ वीशाळ संनधि कोणी।
नुपेक्षी कदा देव भक्ताभिमानी॥१२१॥


जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, April 27, 2012

श्लोक १२०


II श्रीराम समर्थ II

डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण
विधीकारणे जाहला मत्स्य वेगीं।
धरी कूर्मरुपे धरा पृष्ठभागी।
जनारक्षणा कारणे नीच योनी।
नुपेक्षी कदा देव भक्ताभिमानी॥१२०॥


जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, April 20, 2012

श्लोक ११९

II श्रीराम समर्थ II

अजामेळ पापी तया अंत आला।
कृपाळूपणे तो जनीं मुक्त केला॥
अनाथासि आधार हा चक्रपाणी।
नुपेक्षी कदा देव भक्ताभिमानी॥११९॥

डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण

जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, April 13, 2012

श्लोक ११८

II श्रीराम समर्थ II

गजेंदु महासंकटी वास पाहे।
तयाकारणे श्रीहरी धांवताहे॥
उडी घातली जाहला जीवदानी।
नुपेक्षी कदा देव भक्ताभिमानी॥११८॥

डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण

जय जय रघुवीर समर्थ !
 

Friday, April 6, 2012

श्लोक ११७

II श्रीराम समर्थ II

धुरू लेकरु बापुडे दैन्यवाणे।
कृपा भाकितां दीधली भेटी जेणे॥
चिरंजीव तारांगणी प्रेमखाणी।
नुपेक्षी कदा देव भक्ताभिमानी॥११७॥


जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, March 30, 2012

श्लोक ११६

II श्रीराम समर्थ II

बहू शापिता कष्टला अंबऋषी।
तयाचे स्वये श्रीहरी जन्म सोशी॥
दिला क्षीरसिंधु तया ऊपमानी।
नुपेक्षी कदा देव भक्ताभिमानी॥११६॥



जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, March 16, 2012

श्लोक ११५

II श्रीराम समर्थ II

तुटे वाद संवाद तेथें करावा।
विवेके अहंभाव हा पालटावा॥
जनीं बोलण्यासारिखे आचरावें।
क्रियापालटे भक्तिपंथेचि जावे॥११५॥


डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण


जय जय रघुवीर समर्थ !
 

Friday, March 9, 2012

श्लोक ११४

II श्रीराम समर्थ II

 
फुकाचे मुखी बोलतां काय वेचे।
दिसंदीस अभ्यंतरी गर्व सांचे॥
क्रियेवीण वाचाळता व्यर्थ आहे।
विचारे तुझा तूंचि शोधुनि पाहे॥११४॥


जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, March 2, 2012

श्लोक ११३

II श्रीराम समर्थ II


जय जय रघुवीर समर्थ !
जनी हीत पंडीत सांडीत गेले।
अहंतागुणे ब्रह्मराक्षस जाले॥
तयाहून व्युत्पन्न तो कोण आहे।
मना सर्व जाणीव सांडुनि राहे॥११३॥

Friday, February 24, 2012

श्लोक ११२

II श्रीराम समर्थ II


जनीं सांगतां ऐकता जन्म गेला।
परी वादवेवाद तैसाचि ठेला॥
उठे संशयो वाद हा दंभधारी।
तुटे वाद संवाद तो हीतकारी॥११२॥

डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण


जय जय रघुवीर समर्थ !