Friday, April 29, 2011

श्लोक ७०..

II श्रीराम समर्थ II

सदा राम नामे वदा पूर्ण कामे |
कदा बाधिजेना (आ)पदा नित्य नेमे ||
मदालस्य हा सर्व सोडोनी द्यावा |
प्रभाते मनी राम चिंतीत जावा ||७०||

डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण


  जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, April 22, 2011

श्लोक ६९

II श्रीराम समर्थ II

सुखानंद कारी निवारी भयाते |
जनी भक्ति-भावे भजावे तयाते |
विवेके त्यजावा अनाचार हेवा |
प्रभाते मनी राम चिंतीत जावा ||६९||

डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण



जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, April 15, 2011

श्लोक ६८....

II श्रीराम समर्थ II

बळे आगळा राम कोदंडधारी |
महाकाळ विक्राळ तोही थरारी ||
पुढे मानवा किंकरा कोण केवा |
प्रभाते मनी राम चिंतीत जावा ||६८||
डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण

जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, April 8, 2011

श्लोक ६७ ....

II श्रीराम समर्थ II

घन:श्याम हा राम लावण्य रुपी |
महाधीर गंभीर पूर्णप्रतापी ||
करी संकटी सेवकाचा कुडावा |
प्रभाते मनी राम चिंतीत जावा ||६७||

डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण


 जय जय रघुवीर समर्थ !

Friday, April 1, 2011

श्लोक.. ६६

II श्रीराम समर्थ II

नव्हे सार संसार हा घोर आहे |
मना सज्जना सत्य शोधुनि पाहे ||
जनी वीष खाता पुढे सुख कैचे |
करी रे मना ध्यान ह्या राघवाचे ||६६||


जय जय रघुवीर समर्थ !