II श्रीराम समर्थ II
अहो ज्या नरा रामविश्वास नाहीं। |
तया पामरा बाधिजे सर्व कांही॥ |
महाराज तो स्वामि कैवल्यदाता। |
वृथा वाहणें देहसंसारचिंता॥७८॥ डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण |
जय जय रघुवीर समर्थ !
अहो ज्या नरा रामविश्वास नाहीं। |
तया पामरा बाधिजे सर्व कांही॥ |
महाराज तो स्वामि कैवल्यदाता। |
वृथा वाहणें देहसंसारचिंता॥७८॥ डॉक्टर सुषमाताई वाटवे यांचे या श्लोकावरिल श्राव्य निरूपण |